Gold Rate: सोने की कीमतों में आने वाली है बड़ी गिरावट! जानिए एक्सपर्ट की राय

सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई को छू रही हैं और निवेशकों के दिलों में धड़कन बढ़ा रही हैं। हाल के दिनों में सोना Rs 1,22,000 प्रति 10 ग्राम के नए शिखर पर पहुंचा है। लेकिन अब बाजार के विशेषज्ञों की चेतावनी आ रही है।

कई बड़े विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि यह तेजी अस्थायी हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में डॉलर की मजबूती और केंद्रीय बैंकों की नीतियों में बदलाव से सोने की कीमतों पर दबाव आ सकता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति सोने की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है।

भारत में त्योहारी सीजन के बावजूद भी कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले महीनों में सोने की कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि क्यों एक्सपर्ट्स को लगता है कि सोने की कीमतों में बड़ी गिरावट आने वाली है।

सोने की मौजूदा स्थिति और बाजार विश्लेषण

अक्टूबर 2024 तक सोने की कीमतें अभूतपूर्व रिकॉर्ड बना रही हैं। MCX गोल्ड फ्यूचर्स ने Rs 1,22,101 प्रति 10 ग्राम का नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। यह वृद्धि कई कारकों से प्रेरित है जिनमें भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिकी सरकार के शटडाउन की आशंकाएं और फेडरल रिजर्व की दर कटौती की उम्मीदें शामिल हैं।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोना $4,000 प्रति औंस को भी पार कर गया है। निवेशकों में FOMO (Fear of Missing Out) की भावना देखी जा रही है जो इस रैली को और तेज बना रही है। केंद्रीय बैंकों की खरीदारी, ETF में पैसा आना और डॉलर की कमजोरी भी सोने की तेजी के लिए जिम्मेदार हैं।

भारत में फिजिकल गोल्ड की मांग भी मजबूत बनी हुई है। भारतीय डीलर्स आधिकारिक घरेलू कीमतों पर $8-10 प्रति औंस का प्रीमियम ले रहे हैं। इससे पता चलता है कि भारत में सोने की मांग कितनी तगड़ी है।

मापदंडविवरण
वर्तमान MCX रेटRs 1,22,101/10 ग्राम
अंतर्राष्ट्रीय रेट$4,000/औंस
साल भर की वृद्धि50% तक
भारत में प्रीमियम$8-10 प्रति औंस
केंद्रीय बैंक खरीदारी1,000+ टन सालाना
फेड रेट कट संभावना2 बार 2024 में

एक्सपर्ट्स की चेतावनी – बड़ी गिरावट की आशंका

PACE 360 के को-फाउंडर अमित गोयल की चेतावनी काफी गंभीर है। उनका कहना है कि सोना और चांदी अपने “दशकों के सबसे खतरनाक शिखर” पर हैं। उनके अनुसार पिछले 40 सालों में केवल दो बार ऐसा हुआ है जब डॉलर इंडेक्स कमजोर होने के दौरान सोने-चांदी ने इतना अच्छा प्रदर्शन किया हो। दोनों बार इसके बाद भारी गिरावट आई थी।

गोयल का अनुमान है कि सोने की कीमतों में 30-35% की गिरावट हो सकती है। यह वैसी ही गिरावट हो सकती है जैसी 2007-08 और 2011 में देखी गई थी जब सोना करीब 45% तक गिरा था। उनके अनुसार सोना Rs 77,701 प्रति 10 ग्राम तक गिर सकता है।

चांदी के लिए स्थिति और भी गंभीर है। गोयल का मानना है कि चांदी में 50% तक की गिरावट हो सकती है। इसका मतलब है कि चांदी Rs 77,450 प्रति किलोग्राम तक गिर सकती है।

तकनीकी विश्लेषण – गिरावट के संकेत

एनैंड राठी के मनीष शर्मा के अनुसार सोना वीकली RSI में ओवरबॉट कंडीशन दिखा रहा है। Daily RSI 80 के ऊपर चला गया है जो “थकान” के संकेत दे रहा है। हालांकि वीकली मोमेंटम इंडिकेटर्स अभी भी और तेजी की गुंजाइश दिखा रहे हैं।

तकनीकी रूप से सोना लगातार सात हफ्ते ऊपर रहा है। ऐतिहासिक तौर पर यह पैटर्न शॉर्ट टर्म कमजोरी का संकेत देता है जैसा कि 1979 में देखा गया था। सोना अपनी 200-day moving average से 21-23% ऊपर और 200-week moving average से 70-75% ऊपर चल रहा है।

ऑगमॉन्ट की रेनिशा चैनानी का कहना है कि सोने ने $2,650 प्रति औंस के मुख्य सपोर्ट को तोड़ दिया है। अब यह $2,600 प्रति औंस (Rs 73,500 प्रति 10 ग्राम) का लक्ष्य बना सकता है।

भविष्य के कारक – क्या प्रभावित करेगा सोने की कीमतों को

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मॉनिटरी पॉलिसी सोने की दिशा तय करने में सबसे अहम भूमिका निभाएगी। अगर फेड ब्याज दरें ऊंची रखता है या और सख्त नीति अपनाता है तो डॉलर मजबूत हो सकता है। इससे सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है।

केंद्रीय बैंकों की खरीदारी भी एक अहम कारक है। चीन और रूस जैसे देशों के केंद्रीय बैंक अपनी रिजर्व को डायवर्सिफाई करने के लिए सोना खरीद रहे थे। अगर 2025 में ये खरीदारी धीमी हो जाती है तो सोने की मांग घट सकती है।

इक्विटी मार्केट की रिकवरी भी सोने के लिए चुनौती हो सकती है। अगर शेयर बाजार 2025 में मजबूत वापसी करता है तो निवेशक सोने से पैसा निकाल कर हाई-यीलडिंग एसेट्स में लगा सकते हैं।

भारत में सोने की मांग का परिदृश्य

भारत में त्योहारी और शादी-विवाह के सीजन में पारंपरिक रूप से सोने की मांग बढ़ती है। लेकिन अगर आर्थिक स्थितियां सख्त हो जाती हैं और डिस्पोजेबल इनकम घटती है तो गोल्ड ज्वेलरी की मांग कमजोर हो सकती है। यह कीमतों में गिरावट का कारण बन सकता है।

भारत में आयात की मांग भी प्रभावित हो सकती है। सितंबर 2024 में भारत का सोना आयात अगस्त से दोगुना हो गया था। लेकिन रिकॉर्ड ऊंची कीमतों की वजह से अब यह ट्रेंड बदल सकता है।

RBI की गोल्ड परचेजिंग पॉलिसी भी अहम है। 2024 में RBI ने अपनी गोल्ड रिजर्व में 72.6 टन का इजाफा किया था। लेकिन 2025 में RBI की खरीदारी काफी धीमी रही है – सिर्फ 3.8 टन जनवरी-अगस्त में।

निवेशकों के लिए रणनीति

LKP सिक्यूरिटीज के जतीन त्रिवेदी सुझाते हैं कि निवेशक अपनी लॉन्ग पोजीशन में प्रॉफिट बुकिंग करें। उनकी सलाह है कि फेड मीटिंग मिनट्स से पहले प्रॉफिट बुक करें और करेक्टिव डिप्स का इंतजार करें। लेकिन शॉर्ट सेलिंग से बचना चाहिए।

अमित गोयल का सुझाव है कि निवेशक सोने के $2,600-$2,700 प्रति औंस तक गिरने का इंतजार करें। उनके अनुसार उस लेवल पर सोना दोबारा सबसे अच्छा ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बन जाएगा।

पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन की सलाह दी जा रही है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सिर्फ सोने-चांदी पर निर्भर न रहकर अपने पोर्टफोलियो को अलग-अलग एसेट क्लासेस में फैलाना चाहिए।

2025 का आउटलुक – क्या उम्मीद करें

2025 के लिए मिश्रित संकेत मिल रहे हैं। कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सोना Rs 85,000-90,000 प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है अगर भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितताएं बनी रहीं। लेकिन दूसरी तरफ टेक्निकल एनालिसिस और वैल्यूएशन मैट्रिक्स गिरावट के संकेत दे रहे हैं।

J.P. मॉर्गन रिसर्च का अनुमान है कि सोना 2025 की चौथी तिमाही तक $3,675 प्रति औंस और 2026 की दूसरी तिमाही तक $4,000 प्रति औंस तक पहुंच सकता है। लेकिन यह अनुमान रिकॉर्ड हाई से और भी ऊपर जाने का है।

भारत में कस्टम्स ड्यूटी 6% पर स्थिर है। इससे आयात लागत कम रहेगी लेकिन ग्लोबल कीमतों में गिरावट का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ेगा।

निष्कर्ष

सोने की कीमतों का वर्तमान स्तर निश्चित रूप से चिंता का कारण है। तकनीकी विश्लेषण, वैल्यूएशन मैट्रिक्स और एक्सपर्ट्स की राय सभी संभावित गिरावट की ओर इशारा कर रहे हैं। निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए और जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेना चाहिए।

लेकिन यह भी याद रखना जरूरी है कि सोना एक दीर्घकालिक निवेश है। अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से घबराने के बजाय एक संतुलित रणनीति अपनानी चाहिए। SIP के जरिए सोने में निवेश करना या गिरावट का इंतजार करना बेहतर विकल्प हो सकते हैं।

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