Bakri Palan Business Loan 2025: 25% से 35% तक सब्सिडी का Jackpot, 60 दिनों में आवेदन शुरू

भारत में पशुपालन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है और इसमें बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो कम लागत में शुरू होकर अच्छे मुनाफे की ओर ले जाता है। सरकार ने अब इस दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए बकरी पालन बिजनेस लोन स्कीम के तहत नए आवेदन शुरू किए हैं। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं, किसानों और बेरोजगार व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनाना और पशुपालन को प्रोत्साहन देना है।

बकरी पालन आज के समय में डेयरी या पोल्ट्री बिजनेस जितना ही लोकप्रिय हो चुका है। बकरियों का दूध, मांस और गोबर सभी आर्थिक दृष्टि से उपयोगी होते हैं। इसी को देखते हुए सरकार ने सस्ती ब्याज दर पर लोन देने की व्यवस्था की है ताकि लोग बिना किसी बड़ी पूंजी के इस व्यवसाय को शुरू कर सकें। इस स्कीम का संचालन मुख्य रूप से नाबार्ड (NABARD) और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत किया जा रहा है।

इस योजना के जरिए बैंक किसानों और पशुपालकों को बकरी खरीदने, शेड बनाने, चारा तैयार करने और आवश्यक उपकरणों की खरीद के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। आवेदन प्रक्रिया अब ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से शुरू कर दी गई है, जिससे ग्रामीण इलाकों के लोगों को भी आसानी से फायदा मिल सके।

Bakri Palan Business Loan 2025

यह योजना केंद्र सरकार और नाबार्ड द्वारा मिलकर चलाई जा रही एक वित्तीय सहायता पहल है। बकरी पालन के लिए इच्छुक व्यक्ति या समूह को सरकार पशुपालन के लिए आसान शर्तों पर लोन उपलब्ध कराती है। इस लोन से लाभार्थी बकरियां खरीद सकते हैं, बाड़ा (शेड) बना सकते हैं, चारा संग्रहण की व्यवस्था कर सकते हैं और अन्य संचालन खर्च पूरे कर सकते हैं।

नाबार्ड द्वारा इस योजना में सब्सिडी की भी व्यवस्था की गई है, जो लाभार्थी की श्रेणी पर निर्भर करती है। यदि कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), महिला या सीमांत किसान वर्ग से आता है, तो उसे 25% से लेकर 35% तक की सब्सिडी मिल सकती है। सामान्य वर्ग के लोगों को भी लगभग 15% से 25% तक की सब्सिडी का लाभ दिया जाता है।

सरकार का मानना है कि बकरी पालन छोटे किसानों के लिए एक स्थायी आय स्रोत बन सकता है क्योंकि बकरी का दूध और मांस दोनों की मांग पूरे देश में लगातार बनी रहती है। इसके अलावा, बकरियों की देखभाल में बहुत अधिक खर्च नहीं आता, जिससे नए उद्यमियों के लिए यह एक सुरक्षित व्यवसाय बन जाता है।

राशि और ब्याज दरें

बकरी पालन बिजनेस लोन के तहत बैंक लगभग ₹50,000 से ₹10 लाख तक की राशि लोन के रूप में प्रदान करते हैं। यह राशि आवेदनकर्ता की योजना, व्यवसाय के आकार और क्रेडिट योग्यता पर निर्भर करती है।

लोन पर ब्याज दरें लगभग 6% से 9% प्रतिवर्ष तक होती हैं, जो कि अन्य व्यावसायिक लोन की तुलना में कम है। नाबार्ड और पशुपालन विभाग के समन्वय से इस ब्याज दर को किसानों के लिए सुलभ बनाया गया है। इसके अलावा, समय पर लोन चुकाने पर ब्याज में छूट या सब्सिडी का लाभ भी दिया जाता है।

लोन की पुनर्भुगतान अवधि (Repayment Period) आमतौर पर 3 से 7 वर्ष तक की होती है, जिसमें एक साल की राहत अवधि (moratorium period) भी दी जाती है ताकि व्यवसाय स्थिर रूप से बढ़ सके।

पात्रता और जरूरी दस्तावेज

इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदनकर्ता भारतीय नागरिक होना चाहिए और उसकी आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए। व्यक्ति के पास बकरी पालन का बेसिक ज्ञान या प्रशिक्षण होना आवश्यक है। इसके अलावा, यदि कोई समूह या किसान उत्पादक संगठन (FPO) आवेदन करना चाहता है, तो उन्हें समूह के रजिस्ट्रेशन दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होंगे।

आवश्यक दस्तावेजों में —

  • आधार कार्ड और पैन कार्ड
  • निवास प्रमाण पत्र
  • बैंक खाते की पासबुक की कॉपी
  • बकरी पालन की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Project Report)
  • फोटो और हस्ताक्षर
  • भूमि या स्थान से संबंधित दस्तावेज (यदि स्वामित्व हो)

ये सभी दस्तावेज़ स्थानीय बैंक शाखा या ऑनलाइन पोर्टल पर जमा करने होते हैं।

आवेदन करने की प्रक्रिया

बकरी पालन बिजनेस लोन के लिए आवेदन प्रक्रिया सरल और आसान बनाई गई है ताकि छोटे किसान भी इसका लाभ उठा सकें।

  1. ऑफलाइन आवेदन:
    इच्छुक व्यक्ति नज़दीकी बैंक शाखा, ग्रामीण बैंक, या सहकारी बैंक में जाकर बकरी पालन लोन के लिए आवेदन पत्र प्राप्त कर सकता है। आवेदन पत्र भरकर आवश्यक दस्तावेज़ों के साथ जमा करने पर बैंक अधिकारी उसकी परियोजना रिपोर्ट का मूल्यांकन करेंगे।
  2. ऑनलाइन आवेदन:
    कई बैंक और नाबार्ड से जुड़ी संस्थाएं अब ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी दे रही हैं। आवेदनकर्ता को बैंक की वेबसाइट या सरकारी पोर्टल के जरिए आवेदन भरना होता है और दस्तावेज़ अपलोड करने होते हैं।
  3. मूल्यांकन और स्वीकृति:
    बैंक अधिकारी आवेदक की परियोजना और योग्यता की जांच करने के बाद लोन स्वीकृति प्रक्रिया शुरू करते हैं। लोन स्वीकृत होने के बाद राशि सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है।

मुख्य फायदे

इस योजना से छोटे किसानों, महिलाओं और ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलता है। सरकार की यह पहल केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके ज़रिए देशभर में रोजगार सृजन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

बकरी पालन से दूध, मीट, और खाद की बिक्री के जरिए नियमित आय होती है। इसके अलावा, बकरियों की औसत प्रजनन दर अधिक होने से पशुधन तेजी से बढ़ता है, जिससे अतिरिक्त मुनाफा संभव है।

नाबार्ड की रिपोर्ट के अनुसार, बकरी पालन से प्रति वर्ष 30-40% तक का लाभ प्राप्त किया जा सकता है, जो कि खेती या अन्य पारंपरिक व्यवसायों की तुलना में अधिक स्थिर माना जाता है।

निष्कर्ष

सरकार द्वारा शुरू किए गए बकरी पालन बिजनेस लोन से ग्रामीण भारत में रोजगार और आत्मनिर्भरता को नई दिशा मिल रही है। यह योजना उन लोगों के लिए सुनहरा अवसर है जो कम पूंजी में स्थायी आय का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं।

यदि सही तरीके से योजना बनाकर लोन लिया जाए, तो बकरी पालन केवल एक पारंपरिक पेशा नहीं बल्कि आधुनिक ग्रामीण उद्यमिता का सफल उदाहरण बन सकता है।

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